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Sunday, May 4, 2014

naraj mat ho

Photo: चले आज तुम जहाँ से, हुयी जिंदगी परायी तुम्हे मिल गया ठिकाना, हमें मौत भी ना आयी ओ दूर के मुसाफिर, हम को भी साथ ले ले रे हम को भी साथ ले ले, हम रह गये अकेले तू ने वो दे दिया गम, बेमौत मर गये हम दिल उठ गया जहाँ से, ले चल हमें यहा से किस काम की ये दुनियाँ, जो जिंदगी से खेले सूनी हैं दिल की राहें, खामोश हैं निगाहें नाकाम हसरतों का, उठने को हैं जनाज़ा चारों तरफ लगे हैं, बरबादीयों के मैले।  अरुण अग्रवाल

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